बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं ।
बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं
इसलिए कि लोग
जहाँ गिर पड़े हैं
हम वहाँ तने खड़े हैं,
द्वंद्व की लड़ाई भी
साहस से लड़े हैं;
न दुख से डरे,
न सुख से मरे हैं;
काल की मार में
जहाँ दूसरे झरे हैं,
हम वहीं अब भी
हरे-के-हरे हैं।
© अभिषेक पाण्डेय अभि