बड़ा भाई बोल रहा हूं।
हलो हलो हां भाई छोटे तेरा बड़ा भाई बोल रहा हूं।
बहुत अर्से बाद में दिल की गहराई से बोल रहा हूं।।
याद आए आज मुझे भी तेरे बचपन वाले किस्से।
बचत अपनी बचा कर देता था तुझे बचत के पैसे ।।
दुकान पर जाकर चीजों से भरी हुई वह झोली ।
बचपन की यादों में जाकर गोली खेल रहा हूं ।।
हेलो हेलो हां भाई छोटे…………………………….
याद आती है मुझे वह गांव वाली धूल भरी फिरनी ।
मां दंरात से काटती थी वह हरे साग वाली चीरनी।।
एक थाली में खाते टिंडी सरसों बाद में वो हिंगोली।
बचपन में खाए हुए हलवे की मिठाई बोल रहा हूं।।
हेलो हेलो हां भाई छोटे……………………………
याद तुझे है क्या छोटे नत्थू माली के बाग में जाना।
आमों की टहनी पर बैठकर कच्चे आमों को चुराना।।
उस रामलाल के खेत में जाकर खरबूजे को खाना ।
तुझे बचाने के लिए कमर वाली पिटाई बोल रहा हूं।।
हेलो हेलो हां भाई छोटे…………………………….
याद तुम्हें है कंधो पर बैठा दिखाना गांव वाला मेला।
पुरानी चप्पलों को काट बनाता तेरा रबड़ वाला ठेला।।
खेतो वाली मंढेरो पर जा भंभीरी धागा बांध उड़ाना।
आज उसी रंगीन भंभीरी वाली रफ्तार से बोल रहा हूं।।
हेलो हेलो हां भाई छोटे………………………………..
याद मुझे है भाई तेरा हर बचपन का सफर सुहाना।
जब शहर से वापस आओ मेरा वही बचपन लाना।।
भाई की बाजू तरस रही है मेरी बाजू बन कर आना ।
हां भाई हां मैं भी सतपाल छोटा भाई बोल रहा हूं।।
हेलो हेलो हां भाई छोटे……………………….
सतपाल चौहान