* बच कर रहना पुष्प-हार, अभिनंदन वाले ख्यालों से 【हिंदी गजल/ग
* बच कर रहना पुष्प-हार, अभिनंदन वाले ख्यालों से 【हिंदी गजल/गीतिका】*
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(1)
बच कर रहना थाली वाले, बैंगन-दुष्ट दलालों से
बच कर रहना पुष्प-हार, अभिनंदन वाले ख्यालों से
(2)
चुनकर जो तुमको लाए हैं, उनको भूल नहीं जाना
बच कर रहना तन के गोरे, लेकिन दिल के कालों से
(3)
जाना शबरी की कुटिया में, और बेर जूठे चखना
बच कर रहना मालपुओं के, भरे स्वर्ण के थालों से
(4)
पाँच साल में देखो चादर, कहीं न मैली हो जाए
बच कर रहना भ्रष्टों की, जेबों के मोटे मालों से
(5)
पाँच साल का समय मिला है, जनसेवा को करने का
बच कर रहना बहन-मित्र, बहनोई-भाई-सालों से
(6)
स्वर्ग समझकर मंत्री-पद को, कहीं भोगने मत लगना
बच कर रहना कामदेव के, तेज नुकीले भालों से
(7)
चाटुकारिता के चक्कर में, फँस मत जाना मंत्री जी
बच कर रहना बेपेंदी के, लोटों की सब चालों से
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451