बच्चों को नवाचार पद्धति से पढ़ाना?
मास्टर जी को पहले पूरी तरह से प्रसन्नचित होकर कक्षा में जाना चाहिए । मास्टर जी को ! अपने घर का सारा तनाव घर पर ही छोड़ कर आना चाहिए। मास्टर जी को अपने आपको परखना है कि आप बच्चों को पढ़ाने के लायक हैं या नहीं।यह प्रशन अपने आप से पूछना चाहिए। लेकिन आज का मास्टर शायद ऐसा नहीं सोचता होगा।वो मास्टर और टीचर तो बन गया पर! गुरु नही बन पाया है। क्योंकि आज का मास्टर केवल उसे एक नौकरी समझता है।जबकि उसकी बहुत बड़ी जवाबदारी होती है। लेकिन वह इस बात का एहसास करता ही नही है।आज कल मास्टर की भाषा भी प्रभाव हीन होती है! भाषा भी प्रभावशाली हो तो छात्रों के मन पर
बहुत असर पड़ता है। सबसे पहले मास्टर जब अपनी कक्षा में प्रवेश करता है।तब बच्चे मास्टर जी को प्रणाम करते हैं। मास्टर जी को मन से उनके अभिवादन स्वीकार कर
ना चाहिए।अब मास्टरजी को बच्चों के दिमाग को जाग्रत करने के लिए उन्हें हंसाना चाहिए। फिर आप अब जो भी पढ़ाओगे ।वह बच्चों के हृदय तक जायेगा।