बच्चों के व्यक्तित्व विकास हेतु कुछ महत्वपूर्ण बातों को आदतों में शामिल करना आवश्यक
इस विशाल मंच पर मेरा सभी पाठकों को प्रणाम ।
जी हां पाठकों इससे पहले लेख में मैंने जिक्र किया था, उन बातों का ” जो हर माता-पिता को अपने बच्चों की परवरिश के प्रथम पाठशाला की शिक्षा में” कभी नहीं कहना चाहिए ।
तो आईए आज मैं आपको उन आवश्यक बातों से अवगत कराना चाहती हूं कि जिन्हें माता-पिता को अपने बच्चों की आदतों में शामिल करना चाहिए । ” लेकिन इससे पूर्व मैं इस लेख के माध्यम से आपके समक्ष कुछ अपने अनुभव से विचार व्यक्त करना चाहूंगी कि जैसे कभी हमारे यहां अतिथि का आगमन होने वाला होता है, तो हम उनके स्वागत हेतु पूर्व-तैयारियां करते हैं । ठीक उसी तरह हर माता-पिता बच्चे के जन्म होने से पूर्व,”चाहे वह बेटा हो या बेटी” उसके उपयुक्त पालन-पोषण करने हेतु पूर्व योजना बना कर चलें, तो कुछ हद तक हम उनको प्रारंभ से ही अच्छी शिक्षा और संस्कार सिखाने में सफल हो सकते हैं ।
हर परिवार में यदि माता-पिता बचपन से ही अपने बच्चों की खूबियों को और उसका मूल रूप में स्वभाव कैसा है ?? पहचानने का प्रयास करें । सब बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं न, अब हम यहां आदतों की चर्चा कर रहें हैं तो सिर्फ उन आदतों को लिखने से या एकरूपता में बताया नहीं जा सकता है । हो सकता है कि हमारे बच्चे को शांति पसंद है और पड़ोसी के बच्चे को शोरगुल, तो कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी आदतें बच्चों पर लादनी नहीं है । जैसा कि मैंने देखा है कि शुरूआत में व्यस्तता के कारण बच्चे के हाव-भाव, उनकी गतिविधियों को नहीं समझ पाते हैं और बाद में पिछे पड़ते हैं, बच्चे के! तुम्हें ऐसा करना ही है तो वह आपका कहना नहीं मानता है और बस फिर क्या वही गुस्सा करना, मारना शुरू हो जाता है और फायदा कुछ भी नहीं होता और तो और बस बच्चा जिद्दी हो जाता है । हमें ऐसा नहीं हो उसके लिए सदैव प्रयासरत रहना है और जैसी आदतें आप बच्चे के व्यवहार में शामिल करना चाहते हैं, तो जाहिर है आपको भी अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना होगा ।”मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज में रहने के लिए उसके अंदर अच्छे गुणों और आदतों का होना आवश्यक है “।
यह गुण मनुष्य के अंदर बचपन में ही पनपने लगता है, इसीलिए माता – पिता का यह कर्तव्य है की वह अपने बच्चे में जन्म के कुछ महीनों के बाद से ही उसके स्वभाव के अनुसार छोटी – छोटी बातें सिखाना शुरू कर दें और जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, फिर धीरे-धीरे समझ आती है, फिर आप अपने अनुभव के आधार पर अच्छी आदतें सिखाने शुरू कर दें । आजकल अधिकतर माता-पिता कामकाजी होते हैं और कहीं संयुक्त परिवार देखने को मिलते हैं और कहीं नहीं । और चाहे कामकाजी महिला हो या ग्रहिणी वह चाहती हैं कि उसके बच्चे में अच्छी आदतें एवं संस्कार पनपे ताकि एक काबिल इंसान बन सके ।
एक बच्चा बड़ा होकर कैसे चरित्र वाला बनता है, यह काफी हद तक उसकी परवरिश पर निर्भर करता है. ज्यादातर अच्छी आदतों की नींव बचपन में ही पड़ जाती है जो समय के साथ-साथ विकसित होती जाती हैं और बच्चे भी समय के साथ हर रोज कुछ नया सीखते हैं. ऐसे में यह माता-पिता की जिम्मेदारी हो जाती है कि वे बच्चे में अच्छी आदतों को विकसित करें ।
तो पाठकों आईये मैं आपको निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से बताना चाहती हूं कि किस प्रकार से हम बच्चों की आदतों में कुछ उपयोगी बातें शामिल कर सकते हैं ।
1. बच्चे एक वर्ष के बाद जैसे – जैसे पायदान बड़े होते हैं, वैसे-वैसे उनकी समझ का दायरा भी बढ़ने लगता है तो बच्चे प्रश्र करते हैं क्योंकि उनके मन में कौतुहलता रहती है, नया-नया जानने की । माता-पिता उनके प्रश्नों का समाधान प्रेमपूर्वक करें तभी वे नयी दुनिया को समझने की कोशिश करेंगे । माता-पिता को बेटे एवं बेटी के हिसाब से हर चीज समय के साथ समझाना चाहिए ।
2. आजकल तो तीन-चार वर्ष के हुए नहीं कि नर्सरी में विद्यालय में प्रवेश कराना ही पड़ता है, लेकिन उससे पूर्व उनको सुबह की दिनचर्या की आदत डालें- ” सबसे पहले ब्रश करना, दूध पीना, नाश्ता करना, नहाना” इत्यादि । ये आदतें शुरू में ही डाल दी जाय तो उनमें हमेशा ही व्यावहारिक रूप में शामिल होने से उनके शारीरिक विकास हेतु सहायक होंगी ।
3. माता-पिता कामकाजी हों या ना हों, तब भी दोनों को ही आपसी सहयोग से बच्चों की परवरिश करना चाहिए । स्कूल जाने के समय परेशानी ना हो, “इसके लिए प्ले-स्कूल में थोड़ी देर के लिए भेजा जा सकता है ताकि घर से बाहर निकलने की आदत हो । आजकल छोटे बच्चों के लिए अच्छे प्ले-स्कूल इसी उद्देश्य से खोले जा रहें हैं कि धीरे-धीरे बच्चों को खेलने के साथ-साथ रंगों को पहचानना, अच्छी प्रेरणादायक कहानी सुनाना, बच्चों के गाने सुनाना इत्यादि गतिविधियां बच्चे सीखते हैं तो उनका बौद्धिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी होता है ।
4. फिर आती है खाने-पीने की चीजों की बात, तो आप बच्चों को सभी प्रकार से परिपूर्ण परिवर्तन कर खाने की आदत डालें, “जैसे मीठा, नमकीन,खट्टा हर टाईप का” उसमें धीरे-धीरे फल, सब्जियां, जूस , शरबत को भी अवश्य शामिल किजीयेगा । रोटी, पराठे की हर वेराईटी के साथ दाल-चावल सब खाने की आदत डालें एवं घर में जो खाना बने वह खुशी से खाएं ताकि आगे जाकर कहीं पर भी जाईए आप, बच्चों की खाने की समस्या नहीं आएगी ।
5. फिर धीरे-धीरे अगली पायदान पर आगे बढ़ते हुए बच्चे स्कूल जाना सीखते हैं और शुरू हो जाती है बच्चों की नयी जिंदगी । स्कूल से होमवर्क मिलने पर समय पर पूरा करने की आदत डालें और शुरू में आप कराये, समय के साथ समझाते भी जाएं ताकि आगे चलकर वह स्वयं होमवर्क करे और आत्म-निर्भर बनें ।
6. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी कक्षाएं बढ़ती जाती हैं , “फिर शुरू से ही खुद होमवर्क करने की आदत रहेगी ” तो वहीं हमेशा रहेगी । वे शिक्षकों के कहे अनुसार अध्ययन भी करेंगे साथ ही समझदारी भी आएगी और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा ।
7. आप दोनों भी बच्चे के साथ विश्वास स्थापित करें ताकि वह आपसे स्कूल की बातों के साथ-साथ अन्य बातें भी साझा कर सकें । ऐसा करने से वह आपसे राय लेकर ही हर चीज करेगा, कहना भी मानेगा और आपको अपना दोस्त समझेगा । फिर आप बच्चे की रूचि के अनुसार अध्ययन गतिविधियों के अध्ययन हेतु भी भेज सकते हैं, जिससे उसका नैतिक विकास भी होगा ।
8. स्कूली शिक्षा और नैतिक शिक्षा इन सबके बीच समय प्रबंधन सबसे जरूरी है और आजकल तो सभी उच्च स्तरीय शिक्षा इंटरनेट के माध्यम से ही पूर्ण होती हैं तो आप बच्चों के खेलने, पढ़ाई करने, कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य गतिविधियों के हिसाब से एक टाइम-टेबल बनाकर समल प्रबंधन की शुरुआत से ही आदत डालें जो उनकी बेहतर जिंदगी के लिए उपयुक्त है ।
9. माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के साथ हर कार्य उत्तम करने की आदत डालें और शुरू से ही सही – गलत का ज्ञान कराते रहें क्यो कि इसी कोशिश के साथ वह सीखेगा और ईमानदार भी बनेगा । ” बच्चों को धीरे-धीरे पैसों के उपयोग एवं दुरूपयोग दोनों के ही बारे में प्यार से समझाएं ” ताकि आगे चलकर उच्च स्तरीय अध्ययन के लिए दूसरे शहर जाए और आपके द्वारा दिए गए पैसों का सही ढंग से उपयोग करे ।
10. जब भी बच्चों की छुट्टियां हों तो उनको घर के सभी छोटे-छोटे कार्य करने की भी आदत डालें,” जैसे खाना बनाना, हर चीज में साफ-सफाई की आदत, अपने कपड़े धोना, बर्तन धोना, घर सजाना ” इत्यादि कार्य सिखाने चाहिए ताकि वक्त आने पर वे किसी पर निर्भर नहीं रहते हुए स्वयं ही कर लें । इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि घर की हर जमी हुई चीजें जहां से लें, वहीं रखें तो यह उनके लिए ही अच्छा है ।
“हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करते ही हैं, चूंकि मेरे दोनों बच्चे बेटी-बेटा विश्वविद्यालय के अध्ययनरत हैं , उनके पालन-पोषण करने में आए हुए अनुभवों को मैं नवांकुर लेखिका के रूप में इस समूह पर साझा कर रहीं हूं ।”
11. माता-पिता को अपने बच्चों को समझाना चाहिए कि हमेशा अपने बराबरी के लोगों से दोस्ती करने का प्रयास करें और सही-गलत का ज्ञान कराते हुए बुरी आदतों से बचने के लिए बताएं ताकि वह बुरी बातों को ना सीखें । सबसे बड़ी बात बच्चों से बोलना चाहिए कि माता-पिता-पिता से कभी चीट नहीं करना, झूठ नहीं बोलना एवं कोई भी चीज छिपाएं नहीं, आखिर वे ही उसके मददगार है ।
12. हमेशा बच्चों को हर कार्य में प्रयत्नशील बनाईये, कोशिश करने दिजीए पर कम नंबर आने पर नाराज मत होइएगा , आगे कोशिश करने दिजीए । पर जी हां अच्छे नंबर लाने पर, कोई सराहनीय कार्य करने पर उनकी तारीफ भी अवश्य ही किजीएगा, हमें सफलता दिशा में अग्रसर होते हुए उनका उत्साहवर्धन करते रहना चाहिए । मौका मिले तो बच्चों के साथ घूमने जाइए और हां कम से कम दिन में एक बार बच्चों के साथ भोजन जरूर किजीएगा ।
13. वैसे तो उपर्युक्त स्कूली शिक्षा और गृहसंस्कारों के साथ समय बिताते हुए बच्चे सीखते जातें हैं, फिर भी बच्चों को इन सबके अलावा निम्न बातों को भी सीखाना चाहिए,” जैसे लोगों से मिलें तो नमस्ते करना, किसी करीबी रिश्तेदार के घर जाने पर उनके हिसाब से रहना, कभी भी बड़ों को नाम लेकर नहीं पुकारना, बड़े-बुजुर्गों का आदर व सम्मान करना, अपने शिक्षकों का सम्मान करना, आपस में सहयोग की भावना रखना, किसी के भी द्वारा मदद करने पर या जन्म दिवस के अवसर पर तोहफा दिये जाने पर शुक्रिया अदा करना, सदाचार का भाव एवं शालीनता से व्यवहार करना इत्यादि “।
जी हां पाठकों हम सब पालकगण अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा और संस्कार इसलिए ही देना चाहते हैं ताकि एक काबिल इंसान बनकर अपनी जिंदगी में उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते रहें और इन्हीं के अच्छे कार्यों से भारत देश की उन्नति निर्भर करती है , हम माता-पिता यही शुभकामनाएं अपने बच्चों को सदैव देते हैं, पर सबसे अहं बात है कि हमारे देश के सैनिकों का सम्मान करना भी बचपन से ही सिखाएं , जिनकी देश सेवा के कारण ही हम सभी निश्चिंतता के साथ जीवन निर्वाह करते हैं ।
फिर पाठकों अपनी आख्या के माध्यम से बताइएगा जरूर, कैसा लगा मेरा लेख ?
धन्यवाद आपका ।