Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2017 · 2 min read

बच्चों के मन जैसा पारसा नहीं देखा

आज़ का हासिल
बह्र —
बह्रे हज़ज़ मुसम्न अशतर
(1)
हमने तो ज़माने में आपसा नही देखा
पाक-साफ़ दिलवाला दूसरा नही देखा

ख़त्म सिलसिला क्यूँ तुम कर रहे हो यूँ मुझसे
लेके दिल भुलाने का क़ायदा नहीं देखा 2

ख़त्म हो तनफ़्फ़ुर बस प्यार हो जहाँ हमने
जिन्दगी का अब तक वो मरहला नहीं देखा 3

जो लुटा दे अपनी जां एक दिन मुहब्बत में
आज़ तक तो हमने़ वो सरफिरा नही देखा………. 4

सूखा है जो बरसों से बाग़ दिल का जो मेरे
छोड़ कर गया है वो फिर हरा नही देखा———5

ग़लतियों को समझेगा किस तरह वो
बोलो तो
आज़ तक कि जिसने है आइना नहीं देखा ———6

जो पिया था बचपन में दूध माँ के आँचल का
आज़ तक किसी में वो ज़ायक़ा नहीं देखा—-7

वो सुरूर बादे का क्या भला बताएगा
जिसने कि अब तक है मयक़दा नहीं देखा———8

जो उजाला दे सबको थोड़ा भी ज़माने में
हमनें तो अब तक वो तारिका नहीं देखा———9

लोग दावे करते हैं अपनी पारसाई का
बच्चों के मन जैसा पारसा नहीं देखा———9

लाख़ ग़म उठा कर भी फक्त इस मुहब्बत में
दर्द सह के भी तुमसे दिल जुदा नहीं देखा——-10

थाम ले जो आ करके डूबते सफ़ीने को
मेरे कृष्ण के जैसा नाखुदा नहीं देखा——–11

फिर बहार आ जाए मेरे दिल के बागों में
मैंने यूँ ज़माने में दिलरुबा नहीं देखा——-12

चुन गयी है अब तो इंसानियत दिवारों में
जिस तरह दिलों में है फ़ासला नहीं देखा———13

होती क्या शहादत है किस तरह वो जानेगा
जिसने भी यहाँ “प्रीतम” क़रबला नहीं देखा ——-14

———–@ प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

181 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपनी मर्ज़ी
अपनी मर्ज़ी
Dr fauzia Naseem shad
नयकी दुलहिन
नयकी दुलहिन
आनन्द मिश्र
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
Yash mehra
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
लुगाई पाकिस्तानी रे
लुगाई पाकिस्तानी रे
gurudeenverma198
3047.*पूर्णिका*
3047.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भेड़ चालों का रटन हुआ
भेड़ चालों का रटन हुआ
Vishnu Prasad 'panchotiya'
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
Jogendar singh
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
Rj Anand Prajapati
राजनीति का नाटक
राजनीति का नाटक
Shyam Sundar Subramanian
सब्जियां सर्दियों में
सब्जियां सर्दियों में
Manu Vashistha
रहता हूँ  ग़ाफ़िल, मख़लूक़ ए ख़ुदा से वफ़ा चाहता हूँ
रहता हूँ ग़ाफ़िल, मख़लूक़ ए ख़ुदा से वफ़ा चाहता हूँ
Mohd Anas
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"ये दुनिया बाजार है"
Dr. Kishan tandon kranti
उपहार
उपहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल से मुझको सदा दीजिए।
दिल से मुझको सदा दीजिए।
सत्य कुमार प्रेमी
औलाद
औलाद
Surinder blackpen
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
उधार  ...
उधार ...
sushil sarna
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
पंकज कुमार कर्ण
तन्हा तन्हा ही चलना होगा
तन्हा तन्हा ही चलना होगा
AMRESH KUMAR VERMA
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
Pain of separation
Pain of separation
Bidyadhar Mantry
*** सफ़र जिंदगी के....!!! ***
*** सफ़र जिंदगी के....!!! ***
VEDANTA PATEL
तीन स्थितियाँ [कथाकार-कवि उदयप्रकाश की एक कविता से प्रेरित] / MUSAFIR BAITHA
तीन स्थितियाँ [कथाकार-कवि उदयप्रकाश की एक कविता से प्रेरित] / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
Kshma Urmila
माँ काली
माँ काली
Sidhartha Mishra
सिखों का बैसाखी पर्व
सिखों का बैसाखी पर्व
कवि रमेशराज
Loading...