बच्चे — शिक्षा — परीक्षा —- कविता
“”बच्चे ____शिक्षा_______परीक्षा””
वैसे तो वक़्त ने,
हर क्षेत्र को गहरा आघात दिया है।
किसी का चिराग बुझा है।
किसी को कुछ न सूझा है।।
ली है परीक्षा सब की वक़्त ने,
घात- प्रतिघात किया है।।
लगे बच्चे भूलने स्कूल क्या होते है ?
रात दिन मोबाइल के संग होते है।
दुष्प्रभाव इसका कितना वे क्या जाने।
धीरे धीरे ही सही पर नेत्र ज्योति खोते है।।
रोको टोको कब तक उनको,
क्योंकि उनके पास स्कूल के काम कहां होते है।।
जैसे तैसे पढ़ रहे थे,तैयारी परीक्षा की कर रहे थे।
अब वह परीक्षा भी रद्द हुई,
पढ़ने वालों को मिली निराशा,
रुचि नहीं थी जिनकी,दिल में उनके खुशी हुई।।
बच्चे हो या हम,कर भी क्या सकते है।
वक़्त के साथ चलना पड़ेगा ।
बीत रहा है दौर यह धीरे धीरे ।
बचपन आज नहीं तो क्या?
आने वाले कल को तो पड़ेगा।
शिक्षा अच्छी लेगा।
हर परीक्षा देगा।
मंजिल अपनी प्राप्त करेगा।।
राजेश व्यास अनुनय