बचपन
वो भी था एक जमाना,
खुशियों का न कोई ठिगाना,
हंसी मजाक खुब करना ,
चंदामामा का चाहना,
तितली पकडने का बहाना,
अहा, बचपन बहुत सुहाना ।
बांस के छड़ी बनाना,
खुद पर परीक्षण करबाना,
बोर्ड पर कालिख पोतना,
खरी से कख–कबीरकान लिखना,
ज्यादा खेल का शौक रखना,
अहा, बचपन बहुत सुहाना ।
खुला मैदान में भैंस चराना,
जलखोई चरबाहा के साथ खाना,
गुल्ली–डंडी खूब खेलना,
चौपाया की देखभाल पर ध्यान देना,
स्कूल जाने का मन न करना,
अहा, बचपन बहुत सुहाना । .
बछड़ा, बछड़ों के साथ खेलना,
दूसरे के खेत से धान नोचना, ,
मनमर्जी दूसरे का धान भैंस को खिलाना,
खूब उछल कूद करना,
टिसन न जाने के कई बहाना,
अहा, बचपन बहुत सुहाना ।
लोरहा–आठिक चाहना,
पेड से आमों को डंडे से तोड़ना,
उसे अपने हाथों से गीला करना,
उसमे छेद बनाके चूसना,
बगीचे की देखभाल करने का बहाना,
अहा, बचपन बहुत सुहाना ।
#दिनेश_यादव
काठमाण्डू (नेपाल)