Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

बचपन

बचपन
~~°~~°~~°
महलों में कहीं पल रहा बचपन,
किलकारियों से गूंज रहा है।
भूखा तन कहीं जूठे पत्तल पर,
बाल सुलभ मन तड़प रहा हैं।
सड़कों पर बीत रहा जो बचपन,
अंगारों सा क्यूँ दहक रहा है ।
होगी कब तक ऐसी विषमता,
अपना भारत पूछ रहा है।

बाल श्रमिक बनकर कोई क्यूँ ,
घर परिवार की क्षुधा मिटाता।
खिलौने संग कोई मस्ती करता,
हवेलियों में कैसे ठुमक रहा है।
कलम थामने की आयु में,
हाथ मांजता बर्तन कोई।
मन में बसते अरमाँ उनके,
धूं धूं कर कर क्यूँ धधक रहा है ।
होगी कब तक ऐसी विषमता,
अपना भारत पूछ रहा है।

देखो जिम्मेदारियों का बोझ उठाना,
सिखला दी भूख ने समय से पहले।
ईंटे गढ़कर, मखाना फोड़कर ,
पेट की आग बुझाता बचपन ।
वक़्त की स्याही से लिखी हुई किस्मत,
दर्द-ए-दिल लिए भटक रहा है।
होगी कब तक ऐसी विषमता,
अपना भारत पूछ रहा है।

संभ्रांत घरों के युवक को देखो,
हुनर और काबिलियत गुम हो रही अब ।
बाप के कंधों आश्रित होकर,
मयखानों में बहक रहा है।
और दीनों का सिसकता बचपन,
फुटपाथों पर समय गुजारे।
फर्ज लिए संतति जीवन का ,
पग पग पर क्यूँ वो ठिठक रहा है।
होगी कब तक ऐसी विषमता,
अपना भारत पूछ रहा है।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )

1 Like · 194 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all
You may also like:
सफर में हमसफ़र
सफर में हमसफ़र
Atul "Krishn"
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
काश.......
काश.......
Faiza Tasleem
गुलाब भी कितना मुस्कराता होगा,
गुलाब भी कितना मुस्कराता होगा,
Radha Bablu mishra
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
शिव प्रताप लोधी
3) “प्यार भरा ख़त”
3) “प्यार भरा ख़त”
Sapna Arora
गणेश वंदना छंद
गणेश वंदना छंद
Dr Mukesh 'Aseemit'
3685.💐 *पूर्णिका* 💐
3685.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
देव दीपावली
देव दीपावली
Vedha Singh
...
...
*प्रणय*
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
Rituraj shivem verma
आपके छोटे-छोटे मीठे आचार-व्यवहार,
आपके छोटे-छोटे मीठे आचार-व्यवहार,
Ajit Kumar "Karn"
हम हरियाला राजस्थान बनायें
हम हरियाला राजस्थान बनायें
gurudeenverma198
बीते लम़्हे
बीते लम़्हे
Shyam Sundar Subramanian
The Moon and Me!!
The Moon and Me!!
Rachana
मुझे फर्क पड़ता है।
मुझे फर्क पड़ता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मिन्नते की थी उनकी
मिन्नते की थी उनकी
Chitra Bisht
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
कवि दीपक बवेजा
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
Keshav kishor Kumar
"ऐतबार"
Dr. Kishan tandon kranti
क्षणभंगुर
क्षणभंगुर
Vivek Pandey
किसी को इतना भी प्यार मत करो की उसके बिना जीना मुश्किल हो जा
किसी को इतना भी प्यार मत करो की उसके बिना जीना मुश्किल हो जा
रुचि शर्मा
'अहसास' आज कहते हैं
'अहसास' आज कहते हैं
Meera Thakur
इंसान भी बड़ी अजीब चीज है।।
इंसान भी बड़ी अजीब चीज है।।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
पुकार!
पुकार!
कविता झा ‘गीत’
दाम रिश्तों के
दाम रिश्तों के
Dr fauzia Naseem shad
*करो अब चाँद तारे फूल, खुशबू प्यार की बातें (मुक्तक)*
*करो अब चाँद तारे फूल, खुशबू प्यार की बातें (मुक्तक)*
Ravi Prakash
भूख न देखे भूजल भात।
भूख न देखे भूजल भात।
Rj Anand Prajapati
Loading...