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24 Jun 2016 · 1 min read

*बचपन*

मधुर मधुर मुस्कान अधर पर, हर्षवान बचपन देखा।
संस्कारों के अभिनय में शुचि, मूर्तिमान बचपन देखा।
राग नहीं था द्वेष नहीं था, आत्म रम्य व्यवहार सुखद।
शुचित सौम्य निर्दोष भाव से, कान्तिमान बचपन देखा।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
510 Views
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Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
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