*बचपन यादों में बसा, लेकर मधुर उमंग (कुंडलिया)*
बचपन यादों में बसा, लेकर मधुर उमंग (कुंडलिया)
_________________________
बचपन यादों में बसा, लेकर मधुर उमंग
असली सोने-सा खरा, जीवन का यह रंग
जीवन का यह रंग, रोज थी मस्ती छाती
निश्छलता का दौर, न चिंता एक सताती
कहते रवि कविराय, ढूॅंढ़ता है अब भी मन
झूलों-खेलों बीच, किसी मेले में बचपन
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451