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25 Jan 2017 · 1 min read

बचपन जीने का नाम है बेटी

बचपन जीने का नाम है बेटी
कितनी रातें जागी थी मैं तुझे सुलाने में |
कितने सपने बुने थे मैंने लोरियां गानेमें |
वो तेरा मुहँ में अंगूठा लेना,
और आँचल को मेरे पकड़ कर खींचना |
सोई ममता जगाती है बेटी,
बचपन जीने का नाम है बेटी||
वो तेरा आँगन में कूदना फांदना |
दो चोटी बाँध कर स्कूल जाना |
अल्हड़पन से मेरे गले में भाहें डालना ,
और शिकायतों के पुलिंदे से मेरी झोली भरना |
सोये अरमां जगाती है बेटी |
बचपन जीने का नाम है बेटी ||
यौवन को देहलीज पर खडा देख,
अपनों से आँखे चुराना तेरा |
सखियों को हमराज बनाना तेरा |
और छोटी बहन को आँखे दिखाना तेरा |
मन के सागर को आंदोलित करती है बेटी |
बचपन जीने का नाम है बेटी ||
विदाई की बेला में रुलाती है बेटी |
मर्यादाओं में बंधी,
दो घरों को आबाद कर ,
माता पिता को गर्व से जीना सिखाती है बेटी |
तपती धरा पर मेह की पहली बूंद बेटी |
बचपन जीने का नाम है बेटी ||
बीते यौवन को निहारने का नाम है बेटी |
जीवन के संध्या काल का उजास है बेटी |
बेटी बिन जीवन अधूरा |
मन का हर कोना सूना सूना |
हर माँ के मन का दर्पण है बेटी |
बचपन जीने का नाम है बेटी |

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