बचपन के वो दिन
बचपन के वो दिन
बारिश की बूंदे रिमझिम रिमझिम
बादल गरजे जैसे बजे मृदंग
तरुवर के पात करे उत्पात
झूमे नाचे जब हो बरसात ।
बारिश में खेलते थे बच्चे
अब घर में बंद हैं सच्चे
वो कागज़ की कश्ती और जहाज़
तैराते पानी में खुशमिजाज़ ।
बौछारों संग वो भागता बचपन
बुलाने पर भी न आता दिनभर
दोस्तों के संग छीटों की बौछार
याद है वो अब भी मस्त बहार ।
कोयल की मीठी बोली
चिड़ियों की चहचहाहट
मयूरों का नर्तन
बादलों की गड़गड़ाहट ।
आमों पे लगे बूर
बन गए मीठे आम
पीले हरे लाल
मीठे रस लबालब।
याद आए बचपन अब
लौट आएँ वो दिन
खुशनुमा संसार
फैलाए हर सरफ प्यार ।