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25 Jul 2017 · 1 min read

बचपन के दिन

बहुत याद आते बचपन के साथी,
देखा करते थे सब मिलकर हाथी,
उछल कूद करते थे गलियाे मे,
मिलकर चुराते थे अमरुद डलियाे से,
न काेई चिंता न था काेई गम,
खेला करते थे ताश की बेगम,
अपने साथ थी मित्रों की एक टाेली,
टाेली में खेला करते थे हम सब हाेली,
हाेली के बाद सब मित्र नही गये शाला,
शाला के लिये गये सब चुनने काे माला,
माला पहने थी शाला की हर एक बाला,
बाला हाेती है प्यारी,जिसे प्यार से पाला,
पाला हुअा था एक श्वान रंग था उसका काला,
काला चश्मा पहने आये एक हमारे लाला,
लाला काे सबने बहुत चिढाया एक दिन,
दिन वाे बीत गये कैसे रहे उनके बिन,
बिन मित्र के सूना है यह जगदीश,
।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
506 Views
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