बचपन के दिन
बचपन के वो दिन, कोई लौटा दे।
वो छोटी-छोटी खुशियां,
वो लम्बी सी छुट्टियां
वो नानी घर जाना।
वो बारिश में नहाना।
पानी में कश्तियां चलाना।
वो बचपन के दिन, कोई लौटा दे।
भारी स्कूल का बस्ता
वो लम्बा सा रास्ता।
न पढ़ाई से कोई वास्ता।
वो मां-बाबा की डांट
खाना सब मिल बांट
कंचे खेलना और टायर चलाना
वो बचपन के दिन , कोई लौटा दे।
सुरिंदर कौर