*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्यामी छंद )
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बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले
जीवन-रण में ऐसे उलझे, रस महारास के कहॉं खिले
वह धवल चॉंदनी यमुना-तट, सारा जीवन कब रहता है
साधारण जन की भॉंति ईश, बॅंध काल-पाश में बहता है
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451