बचपन की धुंधली यादें
बचपन की धुंधली यादें
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यादें मेरी आज भी धुंधली सी हैं,
मुझको जब कांधे में बिठाकर,
पापा! दौड़ा करते ।
और घर में हम बच्चों के साथ
खेला करते ।
बहुत मजा हम सबको आता,
शैतानी करते , खूब खेलते,
जो पापा को बहुत है भाते।
आज भी मेरी यादें धुंधली सी हैं—–
पापा बाजार जाते तो हम सब,
फरमाइश करते।
आइसक्रीम और चाकलेट की मांग करते।
पापा खुश हो हमको लाकर देते,
हम बच्चों का दिल खुश कर देते।
मेरी यादें आज भी धुंधली सी हैं——-
मां कभी भी गुस्सा होती,
तो पापा चुप कर देते।
देख कर पापा का प्रेम,
आंखों में आंसू आ जाते !!!
आज भी धुंधली सी वो यादें
बाकी है——–
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर