बचपन का किस्सा
जब बच्चे थे तो हम,
दिल के सच्चे थे।
बचपन की वो रात सुहानी थी,
जब दादी मां सुनाती कहानी थी।
न डर था हमें किसी का,
क्योंकी हमारे उपर कुदरत ,
कि मेहरबानी थी।
मां के प्यारे होते थे,
पिता के राज दुलारे।
सबके होंठों की हम मुस्कान थे,
मां के घर की शान थे।
हो गए अब हम बड़े,
छूट गए वो दिन,
खो गई वो शैतानियां,
जो बड़ आती थी सब की परेशानियां।