*** बचपन : एक प्यारा पल….!!! ***
“” बचपन भी…!
कितना प्यारा पल है…!!
वर्तमान के संदर्भ में कहें तो…!
हर किसी का गुज़ारा हुआ कल है…!!
न किसी से, अपनेपन का भाव…!
न किसी से परायेपन का स्वभाव…!!
चहरे के रंगों से परे…!
न बोलने की ढंग से सजे…!!
न मन में…!
कोई गुमान का बसेरा…!!
न हृदय में कभी…!
अभिमान का कोई घेरा…!!
न किसी बंधन का फेरा…!
मान लेता है, सारा जहां अपना है डेरा…!! “”
“” बचपन भी…!
कितना प्यारा पल है…!!
न कुछ पाने की जुनून…!
मन भौंरा हर जगह सुकून…!!
न किसी से…!
आगे बढ़ने की होड़…!!
न किसी से…!
ऊँच-नीच की जोड़-तोड़….!!
धूल कीचड़ से…!
तन बना…!
कोमल भावनाओं से…!
मन बना…!!
न जात-पात के…!
भाव से भरा…!!
न धूप-छांव का असर…!
न बादल-बऱखा की डर..!!
न काले-गोरे रंग से…!
कभी भेद हुआ…!!
न लिंगभेद की…!
कभी कुप्रभाव हुआ….!!
बचपन भी…!
कितना प्यारा पल है….!!
वर्तमान के संदर्भ में कहें तो…!
हर किसी का गुज़ारा हुआ कल है…!!
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