बंद करो आरक्षण
ध्यान लगाकर सुनो रे भाई,
ये बात है बड़ी विलक्षण।
इंसानो में भेद बड़ा एक,
है जिसका नाम आरक्षण।।
बंद करो आरक्षण भैया बन्द करो आरक्षण
बड़ा हूँ मैं और तुम हो छोटे,
खरा हूँ मैं और तुम हो खोटे।
कौन सही और कौन गलत है,
अब इसका करो परीक्षण।।
बंद करो आरक्षण भैया बन्द करो आरक्षण।
करे कोई गरीब का शोषण,
कोई करे गरीब का पोषण।
कौन श्रेष्ठ इनमें से बोलो,
अब इसका करो निरीक्षण।।
बंद करो आरक्षण भैया बन्द करो आरक्षण।
कहीं हो रहा दंगा देखो ,
कहीं लग रही आग है।
मानव और मानवता में,
ये अब कैसा है रण।।
बंद करो आरक्षण भैया बन्द करो आरक्षण।
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार