बंदा लाज़बाब हो
ज़िंदगी चाहती है,
कि तू एक आफ़ताब हो,
सारा जहाँ महके ऐसा गुलाब हो,
इंसान खो न जाये इस
मतलब परस्ती की दुनिया में,
खुदा खुद फ़क्र करे,
बंदा वो लाज़बाब हो।
कुमार दीपक “मणि”
ज़िंदगी चाहती है,
कि तू एक आफ़ताब हो,
सारा जहाँ महके ऐसा गुलाब हो,
इंसान खो न जाये इस
मतलब परस्ती की दुनिया में,
खुदा खुद फ़क्र करे,
बंदा वो लाज़बाब हो।
कुमार दीपक “मणि”