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15 Dec 2017 · 1 min read

बंजारन

मैं बंजारन करूँ पुकार
साहिब जी ! पधारो हमारे देश

मेरे हो वालम बंजारे
आजा अपने देश ।

पथ देख देख
नयना पथराये
मरुधर भूमि
रेत उडाये
भटकू मैं
धर जोगन भेष ।……

सौदागर बन
हृदय ले गये
रोग इश्क का
हमको दे गये
चैन बैन सब साथ गया
बचो न कछु शेष। …….

नागिन सी काली राते
वाण लगे मीठी बातें
वाट जो रहा है श़ृंगार
आओ बनावो केश ।……….

जब कोई पथिक
निकले पथ से
तेरे खत की
पूछू उससे
शायद वह दे दे
कोई संदेश।
राघव दुबे
इटावा (उ०प्र०)
8439401034

Language: Hindi
451 Views
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