!!! फौजी के दिल के अरमान !!!
तुझे प्यार दू
या दू इस सीमा को
कुछ कहना बडा
मुश्किल सा लगता है
न तुझे नाराज
कर सकता हूं
न उस सीमा से
बेवफ़ाई कर सकता हूं
बन्धन में बंधा हूं
और अरमान दिल में
संजोये रखता हूं
इस फ़ूल की भी
क्या किस्मत है
जिस को मैं
अपने हाथों में
समेट के रखता हूं
बस फ़र्ज़ से दगा
नहीं कर सकता
इसीलिए अल्फ़ाज़ प्यार
के सहेजें मैं रखता हूं!!!!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ