“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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सर्वप्रथम यह मैं बता दूँ कि फौजी बनने के दूसरे दिन से सेवानिवृति तक फौजी को “किट” से वास्ता रहता है ! यह किट हमारे सैनिक पोशाक ,कंबल ,मछड़दानी ,दरी ,जूते ,पी 0 टी 0 शू ,मग ,मेसस्टिन ,पिठू ,अँकलेट ,हाउस्वाइफ ( सुई धागा ),बटन ,लैस ,आइडेंटिटी डिस्क ,कच्छे ,बनियान ,टोपी ,बेल्ट ,सोप केस इत्यादि प्रारंभ में मिल जाते थे ! इसके इन्वन्टोरी भी साथ में दिये जाते थे ! सर्दी के समय एक्स्ट्रा क्लोदिंग दिए जाते थे ! सर्दी के बाद उसे वापस ले लिया जाता था ! बर्फीले प्रदेशों के लिए भी एक्स्ट्रा क्लोदिंग अलग से दिए जाते थे ! सब किट दो- दो मिलते थे और लाइफ होने के बाद निरीक्षण होता था और उसे रेपलेस कर दिया जाता था !
18 अगस्त 1972 को मैंने जब RR प्लाटून में कदम रखा दूसरे दिन ही मुझे आदेश मिला ,—
“ आज 10 बजे 20 रंगरूटों को COY QUARTERMASTER STORE में किट मिलेगा ! ”
पता तो और लोगों से लग ही गया था कि फौजी पोशाक मिलेंगे ! खुशी की लहर दौड़ गयी ! आखिर फौजी पोशाक मिलना बड़ी बात थी !
0930 hrs नायक फजलू मियां की Whistle बजी ! 20 रंगरूटों का नाम पुकारा गया और single line बनाते हुए CQMH गुरुबच्चन सिंह को रिपोर्ट किया ! सबों को बारी -बारी से किट मिला ! सब ठीक था पर पहने वाले items बहुत ढीले थे ! हमलोग ने अपना- अपना किट Barrack में ले आए ! फिर नायक फजलू मियां को हमलोगों ने रिपोर्ट की !
“ सर ,हमलोगों को kit मिलगया !“
इन किट को Discipline से फोल्ड करना और रखने की ट्रैनिंग मिली ! आर्मी के तमाम लोगों के किट की folding एक जैसी होती थी ! पता नहीं मेरे ख्याल से किट को सही रखना तो एक तपस्या होती है ! परंतु लोग गुस्से में जब कभी होते थे तो एक कहावत को फौज में दुहराते थे ,—-
“ तुमलोगों की शरारतें और शैतानियाँ बड़ गयी है ! रुक जाओ मैं तुमलोगों का “ kit लगता हूँ ”
किसी ने बड़े अफसर से फटकार सुनी तो उसे भी हमने कहते सुना ,—–
“ आज तो मेरा दिन ही खराब था ! मेरी तो “ kit लग गयी !”
इन कहावत के प्रयोग से आर्मी वाले ही परिचित थे ! साहित्य में शायद ही इसका उल्लेख होगा !
RR से सटा E Coy पहुँचा! बेसिक ट्रैनिंग प्रारंभ हुई ! हरेक मंगलवार को सुबह चार बजे से अपनी- अपनी चारपाई के ऊपर KIT Lay out करना पड़ता था ! सब item के ऊपर अपने सर्विस नंबर लिखे जाते थे ! Dressing, Discipline का खास महत्व होता था ! यदि निरीक्षण के दौरान कोई गलती पायी गयी तो kit शाम तक चारपाई पर रखना पड़ता था ! हमलोग जमीन पर लेट कर आराम कुछ समय के लिए करते थे ! सजा के तौर पर अगले आदेश तक रोज kit लगये जाते थे !
“अब “ किट लगाने “ की कहावतें क्यों प्रसिद्ध थी मुझे समझ में आने लगा !”
TT बटालियन गए KIT लगाने से से पीछा नहीं छूटा! पोस्टिंग गए ,INTERMEDIATE CADRE और SENIOR CADRE किया ,KIT हमारे लगते रहे ! कनिष्ठ पदाधिकारी बनने के बाद KIT लगाना बंद हुआ पर “ मुहावरा तो आर्मी साहित्य के शब्द कोश अपना आशियाना बना लिया !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड