Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 3 min read

“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )


डॉ लक्ष्मण झा परिमल
==================
सर्वप्रथम यह मैं बता दूँ कि फौजी बनने के दूसरे दिन से सेवानिवृति तक फौजी को “किट” से वास्ता रहता है ! यह किट हमारे सैनिक पोशाक ,कंबल ,मछड़दानी ,दरी ,जूते ,पी 0 टी 0 शू ,मग ,मेसस्टिन ,पिठू ,अँकलेट ,हाउस्वाइफ ( सुई धागा ),बटन ,लैस ,आइडेंटिटी डिस्क ,कच्छे ,बनियान ,टोपी ,बेल्ट ,सोप केस इत्यादि प्रारंभ में मिल जाते थे ! इसके इन्वन्टोरी भी साथ में दिये जाते थे ! सर्दी के समय एक्स्ट्रा क्लोदिंग दिए जाते थे ! सर्दी के बाद उसे वापस ले लिया जाता था ! बर्फीले प्रदेशों के लिए भी एक्स्ट्रा क्लोदिंग अलग से दिए जाते थे ! सब किट दो- दो मिलते थे और लाइफ होने के बाद निरीक्षण होता था और उसे रेपलेस कर दिया जाता था !
18 अगस्त 1972 को मैंने जब RR प्लाटून में कदम रखा दूसरे दिन ही मुझे आदेश मिला ,—
“ आज 10 बजे 20 रंगरूटों को COY QUARTERMASTER STORE में किट मिलेगा ! ”
पता तो और लोगों से लग ही गया था कि फौजी पोशाक मिलेंगे ! खुशी की लहर दौड़ गयी ! आखिर फौजी पोशाक मिलना बड़ी बात थी !
0930 hrs नायक फजलू मियां की Whistle बजी ! 20 रंगरूटों का नाम पुकारा गया और single line बनाते हुए CQMH गुरुबच्चन सिंह को रिपोर्ट किया ! सबों को बारी -बारी से किट मिला ! सब ठीक था पर पहने वाले items बहुत ढीले थे ! हमलोग ने अपना- अपना किट Barrack में ले आए ! फिर नायक फजलू मियां को हमलोगों ने रिपोर्ट की !
“ सर ,हमलोगों को kit मिलगया !“
इन किट को Discipline से फोल्ड करना और रखने की ट्रैनिंग मिली ! आर्मी के तमाम लोगों के किट की folding एक जैसी होती थी ! पता नहीं मेरे ख्याल से किट को सही रखना तो एक तपस्या होती है ! परंतु लोग गुस्से में जब कभी होते थे तो एक कहावत को फौज में दुहराते थे ,—-
“ तुमलोगों की शरारतें और शैतानियाँ बड़ गयी है ! रुक जाओ मैं तुमलोगों का “ kit लगता हूँ ”
किसी ने बड़े अफसर से फटकार सुनी तो उसे भी हमने कहते सुना ,—–
“ आज तो मेरा दिन ही खराब था ! मेरी तो “ kit लग गयी !”
इन कहावत के प्रयोग से आर्मी वाले ही परिचित थे ! साहित्य में शायद ही इसका उल्लेख होगा !
RR से सटा E Coy पहुँचा! बेसिक ट्रैनिंग प्रारंभ हुई ! हरेक मंगलवार को सुबह चार बजे से अपनी- अपनी चारपाई के ऊपर KIT Lay out करना पड़ता था ! सब item के ऊपर अपने सर्विस नंबर लिखे जाते थे ! Dressing, Discipline का खास महत्व होता था ! यदि निरीक्षण के दौरान कोई गलती पायी गयी तो kit शाम तक चारपाई पर रखना पड़ता था ! हमलोग जमीन पर लेट कर आराम कुछ समय के लिए करते थे ! सजा के तौर पर अगले आदेश तक रोज kit लगये जाते थे !
“अब “ किट लगाने “ की कहावतें क्यों प्रसिद्ध थी मुझे समझ में आने लगा !”
TT बटालियन गए KIT लगाने से से पीछा नहीं छूटा! पोस्टिंग गए ,INTERMEDIATE CADRE और SENIOR CADRE किया ,KIT हमारे लगते रहे ! कनिष्ठ पदाधिकारी बनने के बाद KIT लगाना बंद हुआ पर “ मुहावरा तो आर्मी साहित्य के शब्द कोश अपना आशियाना बना लिया !!
==============
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड

Language: Hindi
28 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सत्य*
*सत्य*
Shashi kala vyas
23/08.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/08.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मकड़जाल से धर्म के,
मकड़जाल से धर्म के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
डॉक्टर रागिनी
*मृत्यु-चिंतन(हास्य व्यंग्य)*
*मृत्यु-चिंतन(हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
चंद्रकक्षा में भेज रहें हैं।
चंद्रकक्षा में भेज रहें हैं।
Aruna Dogra Sharma
अजीब करामात है
अजीब करामात है
शेखर सिंह
उनसे कहना वो मेरे ख्वाब में आते क्यों हैं।
उनसे कहना वो मेरे ख्वाब में आते क्यों हैं।
Phool gufran
*** लहरों के संग....! ***
*** लहरों के संग....! ***
VEDANTA PATEL
आँखें
आँखें
लक्ष्मी सिंह
हाथी के दांत
हाथी के दांत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Good night
Good night
*प्रणय प्रभात*
"बदलते भारत की तस्वीर"
पंकज कुमार कर्ण
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
हम यहाँ  इतने दूर हैं  मिलन कभी होता नहीं !
हम यहाँ इतने दूर हैं मिलन कभी होता नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गाएं
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
झुकता हूं.......
झुकता हूं.......
A🇨🇭maanush
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
gurudeenverma198
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"" *श्रीमद्भगवद्गीता* ""
सुनीलानंद महंत
आशियाना
आशियाना
Dipak Kumar "Girja"
जय शिव-शंकर
जय शिव-शंकर
Anil Mishra Prahari
उम्र थका नही सकती,
उम्र थका नही सकती,
Yogendra Chaturwedi
उसकी बाहो में ये हसीन रात आखिरी होगी
उसकी बाहो में ये हसीन रात आखिरी होगी
Ravi singh bharati
*गम को यूं हलक में  पिया कर*
*गम को यूं हलक में पिया कर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
अंसार एटवी
"मैं आग हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...