फैली है कुरीतियाँ
भारत देश मे सुनलो भैया,फैली है कुरूतियाँ|
महगाई व भ्रष्टाचार की,फैली है कुरूतियाँ||
नक्सलवाद व आतंकवाद से,मौत की बज रही घंटियाँँ|
बालविवाह व दहेज के कारण मर रही प्यारी बेटियाँ||
व्याह रचाने दूलंहा निकले,खुलती है अचेटियाँ|
मूछो बाले दददा की देखो,खुल रही दारू की पेटियाँ||
दहेज मे दूल्हा को जे दे रहे है ,पैसो की गिड्डीयाँ|
घोडा गाडी आैर जे देरहे है,सोने की ईटियाँ||
भोजन मे आइटमो की भैया,है नहिआ अब गिनतियाँ|
लतरी मारो भोजन फिर रहो लग रही मक्खी चीटियाँ||
दहेज अगर न मिलो तो भैया,उड़रही इज्जत की धज्जियाँं|
दहेज के कारण सास ससुर के ताने सुनती बेटियाँ||
भारत की संस्कृति मे भैया पनप रही कुरूतियाँ|
पढ़पढ़ के जेआज के मोडा दे रै प्यारी चिट्टियाँ|