Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2022 · 2 min read

” फेसबुक कहियो धूमिल नहि हैत “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”

====================

व्यक्तिगत उपहास ,परिहास आ आलोचनाक व्यंजन हमरा सं परोसल नहि जायत अछि ! इ ग्राह्य कखनो नहि भ सकैत अछि ! तें अपना पर व्यंगक प्रहार करैत छी ! किनको पाचनतंत्र दुर्बल नहि हैतनि ! ….

.आजुक युग मे बिनु पढ़ने सब कालिदास बनि जेताह इ सम्भव नहि अछि !….. हम फेसबुक कें एकटा महान पोथी बुझैत छी जाहि मे लेखक ,….कवि,…..चित्रकार ,दार्शनिक ,…..व्यंगकार ,….कलाकार इत्यादि लोकनि अपन -अपन साहित्यक रचनाक फुहार सं शीतलताक प्रदान करैत छथि ! .
..हम त एहि ज्ञान गंगा मे डूबकि लगबैत रहित छी परंच गंगा ,यमुना आ सरस्वती रूपी पुस्तक सं हम परहेजो नहि करैत छी ! ..

जेना रंगमंच मे अभिनय करयवला सब अभिनेता आ अभिनेत्रीये टा नहि होएत छथि ..ओहिमे किछु विदूषक सेहो रहेत छथि ! हुनका लोकनिक व्यंगात्मक अभिनय क प्रस्तुति कखनो -कखनो हास्य क परिसीमा लांघि ह्रदय पर पैघ प्रहार सेहो क देत अछि ! …..

एहिना फेसबुक मे यदा -कदा एहनो लोक भेटि जाइत छथि !….एकटा मित्र फेसबुक सं जुड्लाह…नीक लागल …नव मित्रता क उपलक्ष्य मे हुनका पत्र आ कविता लिखलहूँ ….टाइम लाइन वो अप्पन नेपथ्य मे रखने छलाह …तें हमरा टैग करय पडल ….

ओ लिखलनि ..”Friends, if someone is hurt by posting me then, please inform us. I do not want to keep such friends myself.”…..मित्रता मे हमरा बुझने संभवतः कोनो आउट ऑफ़ बाउंड नहि होइत छैक ! तथापि “I do not want to keep such friends myself.” बड्ड विचित्र व्याक्य क प्रयोग ! ..

आब दोसर मित्र भेटैत छथि …..फ्रेंड रिक्वेस्ट हुनकर काल्हिये आयल ..हुनको स्वीकार केलहुं आ खूब नीक जकाँ पत्र लिखलहूँ ! पत्रोतर कोनो नहि….कमेंट कोनो नहि ….हुनकर अनुरोध हमर टाइम लाइन पर आयल “आदरणीय ! ” हमर किछु पुस्तक अपने पढ़य चाहब ?…. किन्तु,अपन वचनबद्धताक कारणेँ हम मूल्य मांगब…..जेहन इच्छा।” …कहू संवाद अखन कोनो भेल नहि .बिजिनस प्रारंभ ?…….प्रतिउत्तर मे हम लिखालियन …..
” अखने अखने त मित्रक आवरण ओढ़लहुँ पत्राचार नहि भेल आ कमर्शियल बनि गेलहुँ ?@लक्ष्मण ”

……एहिना व्यंजन फेसबुक मे भेटैत रहित अछि ..तथापि एहि रंगमंच क महत्व कहियो धूमिल नहि भ सकैत अछि ! हम सब दर्शक छी आ फेसबुक हमर रंगमंच बनल अछि

!==============

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Maithili
137 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"Jun88 là một trong những nhà cái có kho game trả thưởng đa
jun88net
* बचाना चाहिए *
* बचाना चाहिए *
surenderpal vaidya
प्रश्नों से प्रसन्न होते हो वो समझदार होते।
प्रश्नों से प्रसन्न होते हो वो समझदार होते।
Sanjay ' शून्य'
" लो आ गया फिर से बसंत "
Chunnu Lal Gupta
सत्याधार का अवसान
सत्याधार का अवसान
Shyam Sundar Subramanian
उधारी
उधारी
Sandeep Pande
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कुशल क्षेम की पूछ मत, पवन हृदय से बात ।
कुशल क्षेम की पूछ मत, पवन हृदय से बात ।
sushil sarna
सब्र रखो सच्च है क्या तुम जान जाओगे
सब्र रखो सच्च है क्या तुम जान जाओगे
VINOD CHAUHAN
इतना बेबस हो गया हूं मैं
इतना बेबस हो गया हूं मैं
Keshav kishor Kumar
रक्षाबंधन का त्योहार
रक्षाबंधन का त्योहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पुश्तैनी दौलत
पुश्तैनी दौलत
Satish Srijan
3490.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3490.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
"तोता"
Dr. Kishan tandon kranti
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
P S Dhami
उमंग जगाना होगा
उमंग जगाना होगा
Pratibha Pandey
मज़बूत होने में
मज़बूत होने में
Ranjeet kumar patre
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
Dr. Man Mohan Krishna
कौवों को भी वही खिला सकते हैं जिन्होंने जीवित माता-पिता की स
कौवों को भी वही खिला सकते हैं जिन्होंने जीवित माता-पिता की स
गुमनाम 'बाबा'
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डोर
डोर
Dr. Mahesh Kumawat
"कभी मेरा ज़िक्र छीड़े"
Lohit Tamta
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
Raju Gajbhiye
जिसने दिया था दिल भी वो उसके कभी न थे।
जिसने दिया था दिल भी वो उसके कभी न थे।
सत्य कुमार प्रेमी
खुदा तू भी
खुदा तू भी
Dr. Rajeev Jain
हंसना - रोना
हंसना - रोना
manjula chauhan
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
ठहर नहीं
ठहर नहीं
Dr fauzia Naseem shad
उन के दिए ज़ख्म
उन के दिए ज़ख्म
हिमांशु Kulshrestha
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
Loading...