फूल
“मैं फूल हूँ”
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मैं फूल हूँ मुझसे फुलवारी की सुंदरता है
मुझे मत तोड़ो मुझसे इसकी रौनकता है।
मेरी सौरभता से सारी प्रकृति सुरभित है
मुझसे से ही मनमोहित और श्रृंगारित है।
मैं डालियों में इतराता अच्छा लगता हूँ
मैं अहर्निश खिलके खिलना चाहता हूँ।
मैं इन पेड़ों की गोद मे सदा इठलाता हूँ
मैं इन पेड़ों की गोद मे ही प्यार पाता हूँ।
मुझे मत सताओ डालियों से दूर न करो
मेरे दर्द को तनिक समझो अहसास करो।
इस हरी-भरी हरियाली पर कृतार्थ करो
अपनी मानवीयता धर्म को चरितार्थ करो।
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अशोक पटेल”आशु”
तुस्मा,शिवरीनारायण(छ ग)
9827874578