फूल
फूल खुशबू दे जाते है।।
कभी खुशी मे काम आते है।। कभी गमी मे काम आते है।।
कोई पूंछो यारो इन फूलों की मर्जी। कोई पूंछो यारो इनकी कोई अर्जी।।
कोई मंदिर की माला मे सजाता हैं। कोई किसी के पैरों मे बिछाता हैं।।
कोई कहता है मईत पर चल।। कोई कहता है शादी पर चल।।
क्यों नहीं है इनकी कोई मर्जी।। ये भी होते हैं हमारी तरह।।
ये भी हंसते है ये भी रोते हैं।। इन फूलों को न तोड़ो यारो।।।
इनको दर्द भी होता हैं।। इनको भी तुम खिलने देना।।
अपनी मर्जी से जीने देना।।
इनकी भी कोई कीमत जाने।।
फूल बहुत होते अनमोल।। फूल खुशबू दे जाते है।।।
कृति भाटिया।।