फूल सब पथ मैं सजा लूं
फूल सब पथ मैं सजा लूं
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फूल सब पथ मैं सजा लूं,
प्रभु राम!का है आगमन,
आज दीपों को जला लूं!
आसमान के तारों से प्रभु को,
पुष्पों का हार पहनाकर?
फूल सब पथ मैं सजा लूं!
गली-गली सजा दीपों से,
फैली आलोक सी पथ में,
इस सुख के पल को में
खुशियों से सजा लूं!
देख सामने प्रभु राम को,
आंसुओं से सजल नयन थे
वर्षों बाद आये हैं नाथ?
सबकी हृदय से यही पुकार थी,
अब! नैनों से ओझल ना हो
उनको कहीं छिपा लूं!
हे! राम तुम्हारे पथ को मैंने,
फूलों से है सजाया —
अपने पावन पग से तुम,
धरा को पवित्र कर दो !
जिससे भव सागर में पार
कर लूं ——
फूल सब पथ मैं सजा लूं!
प्रभु राम का है आगमन!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर