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22 Oct 2020 · 1 min read

फूल.बने अंगारे

**** फूल बने अंगारे ****
*********************

ये फूल बन जाते हैं अंगारे
शूल बिन हो जाते बेसहारे

सुगंधि को रहते हैं बिखेरते
धीरे धीर से रहें पाँव पसारे

आते जाते लोग हैं निहारते
रंग बिरंगे सुमनों के नजारे

न हों नसीब रहे बदनसीब
माली नित्य सजाए संवारे

महक से पाट पाट महकाएं
दबे पैर खुशबू संग फधारें

भंवरे करते रहते हैं रसपान
रस रहित हो कर रहें पुकारे

हसीन वादियों के हैं स्त्रोत
मनभावन दृश्य रहें पिसारें

अंधेरी रातों के जुगनुओं से
नभ में जैसे चमकते सितारे

मनसीरत हो कर बदहवास
बेसुरा मूर्छित हो कर पुकारें
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
924 Views
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