【4】*!* लेजेंड ऑफ फ्लावर *!*
खिलते फूल को देखके, मैं कुछ विचलित सा हो जाता हूँ
क्यों इतना खुश हुआ फूल, ये राज़ समझ नहीं पाता हूँ
खिलते फूल को ………….
{1} मैंने जाकर पूछा फूल से, तेरी खुशी का राज है क्या
फूल ने पूछा तू भी बता, तेरे जीने का अन्दाज है क्या
मैंने कहा मैं तो भाई, हर रोज ही नियम बनाता हूँ
फूल ने कहा तू सुन भाई, मैं नियम बदल नहीं पाता हूँ
खिलते फूल को …………..
{2} मैंने कहा ऐ फूल मुझे भी, खुशी का राज़ बताओ न
फूल भी मुस्कराकर बोला, तुम पक्का नियम बनाओ न
मैं बोला क्या नियम पक्का, मैं ये समझ नहीं पाता हूँ
फूल ने कहा मैं शरद, गर्म, बारिश मैं एक सा रहता हूँ
खिलते फूल को …………..
{3}खुशी का राज समझ आया अब, मैं भी खुशी से रहता हूँ
नियम बनाया मैं भी पक्का, उसी नियम पर चलता हूँ
कोई मुश्किल हो या बाधा, मैं नहीं हार मानता हूँ
फूल के जैसे मुस्काता मैं, समय से सोता जागता हूँ
खिलते फूल को …………..
{4} फूल मुफ्त मैं सीख दे गया, मैं आबाद हुआ जिससे
फूल की सीख न समझे कोई, खाली, कोरे ही किस्से
मैं निज स्वारथ छोड़, सभी को हित की बात बताता हूँ
फूल से शिक्षा लो तुम भी , मैं फूल से शिक्षा पाता हूँ
खिलते फूल को …………..
सीखः- हमें प्रकृति की हर एक वस्तु कोई ना कोई सीख देती है। बशर्ते हमें ग्रहण करने की शक्ति होनी चाहिए।
Arise DGRJ { Khaimsingh Saini }
M.A, B.Ed from University of Rajasthan
Mob. 9266034599