फूलों की चोट
बात पते की बताता हूं आज ये
फूलों की चोट कांटों से ज़्यादा होती है
कांटें तो बस शरीर में चुभते हैं
फूलों की चोट तो दिल पर होती है।।
चुभेगा कांटा तो निकल भी जायेगा
ज़ख़्म उसका दो दिन में भर भी जाएगा
फूलों की चोट का दर्द तो
उम्रभर कोशिश करने पर भी न जायेगा।।
बचकर रहना फूलों से मेरे दोस्तों
ये कब चोट कर जाए, पता भी न चलेगा
ज़ख्म दे जाती है जुदाई का, इनकी दूरी
ज़ख्म कब नासूर बन जाए, पता भी न चलेगा।।
तुम खुशबू पर न जाओ इनकी
दूरियां बनाने से ही बात बनेगी
है भंवरों को खींचने की ताकत इनमें
इनसे दूर रहने से ही बात बनेगी।।
किया है हज़ारों को घायल फूलों ने
जो फिर उठ नहीं पाए जीवन में कभी
तुम्हारे पास तो अभी भी मौका है
जी लो ज़िंदगी फिर मौका मिलेगा न कभी।।
चोट पहुंचाते है अपनों को सभी फूल
ये कहना भी पूरा सच नहीं है
लेकिन कौन फूल चोट पहुंचाएगा कौन नहीं
ये जानने का कोई ज़रिया भी नहीं है।।
बेहतर यही है कि फूलों से दूर ही रहो
खुश रहोगे, तभी जीवन का आनंद लेते रहोगे
अच्छी तरह आएगी तुझे रातों को नींद
दोस्तों संग, मज़े जीवन के लेते रहोगे।।