कांटों से तकरार ना करना
अन्जाने में कोई गुनाह हो जाए तो इन्कार ना करना
फूलों की चाहत में लूटे हो काटों से तकरार ना करना
रिमझिम रिमझिम बरसे बादल जब सावन का मौजम आए
फूल खिले और महके गुलशन जब भंवरा कलियों पर गाए
भंवरा बनके अपने दिल की बातो इजहार ना करना
फूलों की चाहत में लुटे हो………..
हमदम भी यहाँ वायदे करके साथ सफर में कम देते हैं
प्यार के बदले नफरत या फिर खुशियो के बदले गभ देते हैं पत्थर दिल है लोग यहाँ के इंसां समूझके प्यार ना करना
फूलों की चाहत में लुटे हो……….
शाम की तन्हाई में माना मायूसी में खो जाते है
याद किसी की आती है तो बेकाबू से हो जाते हैं
इन आँखों से बहने वाले ये मोती बबेकार ना करना
फूलों की चाहत में लुटे हो……….