फुलों कि भी क्या नसीब है साहब,
फुलों कि भी क्या नसीब है साहब,
कोई चढ़ा जाता ईश के माथे पर,
कोई थमा जाता अपने प्रेमी के हाथो में,
छिन जाती जब सौंदर्य उनका,
फेंक जाते उन्हें रास्ते पे।
फुलों कि भी क्या नसीब है साहब,
कोई चढ़ा जाता ईश के माथे पर,
कोई थमा जाता अपने प्रेमी के हाथो में,
छिन जाती जब सौंदर्य उनका,
फेंक जाते उन्हें रास्ते पे।