फुर्सत जख्म देने की बहुत है आपके पास
किसी के आंसू पोंछने की ,
किसी के दिल को राहत देने की ,
या चंद लम्हे गुजारने किसी के साथ ,
फुर्सत नहीं जी !
मगर किसी को चोट पहुंचाने
किसी को जार जार रुलाने,
तड़पाने बेइज्जत करने के लिए ,
फुर्सत ही फुर्सत है आपके पास ।
आपको इंसान तो कह नहीं सकते ,
वहशी कहना वहशी का अपमान है ।
क्योंकि वही है जगत में विरला एक प्राणी ,
एक धड़कता हुआ दिल अब भी है उसके पास ।
और किसी के जख्मी दिल को ,
मलहम देने को फुर्सत भी है उसी के पास ।
आपके पास कहां है इतनी फुरसत !