फिलिस्तीन इजराइल युद्ध
गर्दन खींचकर मुझे बेदखल कर दिया मेरे ही घर से,
आज घुसता हूँ तो वो मुझे आततायी चोर कहते हैं,
किसी ने ना पूछा किसी ने ना रोका उसने ऐसा क्यों किया,
मेरे ही वतन में मेरे जाने को उसकी जुबान में सब घुसपैठ कहते हैं,
मेरी जमीन छीन ली, मेरा आसमाँ छीन लिया,
मेरे खेत, मेरी नदियाँ छीन कर मुझे भूखा प्यासा सुलाते हैं,
मेरे इबादतगाह तोड़कर नेस्तनाबूद कर दिए,
मेरे पूर्वजों की कब्र पर आज वो महफिलें सजाते हैं..
मिरे बच्चे मुझे बजदिल मेरी औरतें नामर्द कहती हैं,
मैं मुँह छिपाकर रहता हूँ वो मेरे बागों में छुट्टियां मनाते हैं..।।
prAstya………… (प्रशांत सोलंकी)