फिर से दोस्त बन जाते हम
जीवन को मधुरिम बनाते है,
गिले-शिकवे सब भूलकर,
एकबार फिर से दोस्त बन जाते है!!
नादान थे तुम, अनजान थे हम,
रिश्तों की महत्ता समझ न पाए,
उम्र के इस पागल पड़ाव में तुम
अपनेपन का स्नेह परख न पाए !!
मेरे अहसास समझना तुम,
तुम्हारे जज़्बात समझेंगे हम
कभी संदेह न आए रिश्तों में,
सदा इस का ख़्याल रख लेंगे हम!!
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें,
जीवन को खूबसूरत बना ले हम
गिले-शिकवे सब भूलकर,
एकबार फिर से दोस्त बन जाते है
जीवन में कभी ऐसा समय न आए,
कि बिन बात दुविधा बढ़ाएं हम,
कोशिश मेरी बातों से आंखें न बरसे
चुप्पी से बातों को न तरसे,!!
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें,
जीवन को सुंदर बना ले हम,
गलतफहमी का कांटा निकाल कर
गुलाबी फूल की खुशबू महकाएं हम
तुम रखना दृढ़ आस्था मुझ पर,
मेरी निष्ठा भी तुम पर रहे सदा,
विश्वास की नींव हो हमारे मिलन की
प्रीत ही मूल हो हमारे अनुराग की,
क्रोध न करना कभी मुझ पर तुम,
धैर्य का दामन थाम चलेगे हम
अहंकार कभी ना आए रिश्तों में,
अभिमान को सदा तज देंगे हम
ईगो को स्वाहा कर देंगे हम,
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें,
जीवन को मधुरिम बना ले हम
गिले-शिकवे सब भूलकर,
एकबार फिर से दोस्त बन जाते हम।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान