फिर सुबह होगी
हर हाथ में
एक मशाल तो
हर होठ पर
एक नारा होगा!
संसद भले ही
तुम रख लो
लेकिन सड़क
हमारा होगा!!
भला कब तक
रहेगी रात यह!
आखिर कभी तो
सबेरा होगा!!
हर हाथ में
एक मशाल तो
हर होठ पर
एक नारा होगा!
संसद भले ही
तुम रख लो
लेकिन सड़क
हमारा होगा!!
भला कब तक
रहेगी रात यह!
आखिर कभी तो
सबेरा होगा!!