फिर वसंत आया फिर वसंत आया
फिर वसंत आया, फिर वसंत आया
रंगों की दुनियां की बहार संग लाया
खुशियाँ पास आईं, ग़म दूर भागा
जीवन में हर्ष-ओ-उल्लास है छाया।
फिर वसंत आया, फिर वसंत आया
फूलों ने मंद सुगंध हर ओर बिखेरा
कोयलों ने नया, मधुर तान सुनाया
जन में हवा ने नव एहसास जगाया।
फिर वसंत आया, फिर वसंत आया
हर तरफ खुशियों का मौसम छाया
पेड़ों ने नये पत्तों, की चादर ओढ़ा
खेतों की हरियाली ने हृदय लुभाया।
फिर वसंत आया, फिर वसंत आया
भीनी सी खुशबू से दिल खिल उठा
सब जन के मन को, ये खूब भाया
प्रेम की फुहारें हर तरफ है बरसाया।
फिर वसंत आया, फिर वसंत आया
सरसों का फूल सोने सा चमचमाया
प्रकृति की गोद में, नया रंग छा गया
धरती पर वंसत का खुमार है छाया।
– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार