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21 Aug 2016 · 1 min read

फिर दिये सा जगमगाना ज़िंदगी

फिर दिये सा जगमगाना ज़िंदगी
ख्वाहिशों का ताना-बाना ज़िंदगी

बस यही तौफ़ीक़ उसकी है मुझे
रूठ जाऊं तो मनाना ज़िंदगी

तुझसे बिछड़ा दर-ब-दर हो जाऊँगा
तू मिरा है आशियाना ज़िंदगी

आ मिरे घर नाश्ता कर ले कभी
मुझको अपने घर बुलाना ज़िंदगी

हाथ तेरा थाम कर चलता रहूँ
हर क़दम रस्ता दिखाना ज़िंदगी

सच को सच न लिक्खे जब मेरी क़लम
हक़ तुझे है रूठ जाना ज़िंदगी

नज़ीर नज़र

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