फिर दिये सा जगमगाना ज़िंदगी
फिर दिये सा जगमगाना ज़िंदगी
ख्वाहिशों का ताना-बाना ज़िंदगी
बस यही तौफ़ीक़ उसकी है मुझे
रूठ जाऊं तो मनाना ज़िंदगी
तुझसे बिछड़ा दर-ब-दर हो जाऊँगा
तू मिरा है आशियाना ज़िंदगी
आ मिरे घर नाश्ता कर ले कभी
मुझको अपने घर बुलाना ज़िंदगी
हाथ तेरा थाम कर चलता रहूँ
हर क़दम रस्ता दिखाना ज़िंदगी
सच को सच न लिक्खे जब मेरी क़लम
हक़ तुझे है रूठ जाना ज़िंदगी
नज़ीर नज़र