फिर तन्हाई में रिश्ते टूटते क्यू है
तन्हाई में तनहा रहते ये क्यू है।
एक दूजे से जुदा रहते ये क्यू है।।
जब याद आ जाती है उनकी कभी कभी।
फिर आंखो से आंसू बहते ये क्यू है।
ये प्यार का रिश्ता या जन्म का रिश्ता है।
फिर दुनिया में रिश्ते ये बदलते क्यू है।।
जब सीने मै बस जाए उनकी धड़कन।
फिर दो दिल धड़कते ये क्यू है।।
गलत फहमी में जब दिल दूर हो जाते हैं।
फिर भी दिलो में दर्द उठते ये क्यू है।।
रह नहीं सकते जब एक दूजे के बैगेर।
फिर आपस में टकराते ये क्यू है।।
तड़पते है तन्हाई में एक दूजे के लिए।
फिर तन्हाई में रिश्ते टूटते क्यू है।।
खाते है जब कसम मरने जीने की एक साथ।
रस्तोगी पूछता है,रिश्ते टूटते ये क्यू है।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम