फिर क्यों नहीं तेरी ममता को नाप पाता हूँ माँ
लोग कहते है कि मैं शब्दों का जादू जानता हूँ माँ
फिर क्यों नहीं तेरी ममता को नाप पाता हूँ माँ
आज जाने क्यों अनायास ही माँ की याद आ गई
तस्वीर सी कोई बचपन की आँखों में उतर आई
शायद आज कुछ बड़े दिनों बाद फुरसत के लम्हे थे
आ गए याद मुझे कच्चे घर और वो पुराने चूल्हे थे
आँगन में माँ बना कर खिलाती थी रोटियाँ गर्म गर्म
अब कहाँ नसीब में रोज वो माँ का स्पर्श नर्म नर्म
जिस माँ को पहले नासमझ मैं अनपढ़ समझता था
खुद का नाम लिखना सिखाने का प्रयास करता था
बहुत दिनों बाद समझ पाया वो तो ऍम बी ए है
कम पैसों में ज्यादा बच्चे पढ़ा देने वाली सी ए है
तेरी जी तोड़ मेहनत मैंने इन आँखों से देखी है माँ
प्यार भरा दिल और फुकनी की मार अनोखी है माँ
याद है बचपन में पिता जी माँ की ममता समझाते थे
एक बेटे ने कैसे माँ का कलेजा माँगा कहानी सुनाते थे
हँस कर माँ ने बेटे को दे दिया अपना कलेजा था
ठोकर खाई तब जाकर दिल बेटे का पसीजा था
जब माँ के कलेजे ने कहा बेटा चोट तो नहीं लगी
बेटे की आँखें तब खुली और आत्मा तब जगी
हर बार आँखे डबडबा आती गला भरा आता था
माँ को दुःख ना देने का संकल्प और कठोर होता था
बचपन की एक आदत आज जवानी में भी साथ है
माँ के पैर दबाना और आशीष लेना आज भी याद है
पर अफ़सोस ये पूण्य हर रोज नहीं कमा पाता हूँ माँ
चाहता तो हूँ पर हर रोज तेरे पास नहीं आ पाता हूँ माँ
इस जीवन की आपा धापी में मैं पीछे रह गया
मिलना था जो प्यार मुझे भाई के हिस्से आ गया
तेरी आशा तेरे सपने थे कि तेरे बेटे लायक बने
सब खुश रहें और अपनी जिन्दगी के नायक बने
जरूर तेरी मेहनत को आज एक मुकाम मिला है
जरूर तेरे बेटों को चार लोगों में एक नाम मिला है
जाने क्यों मुझे लगता है मैंने बहुत कुछ खो दिया
मैंने जीवन की दौड़ में सच्चे खजाने को खो दिया
अब भी मन करता है तेरा आशीष लेकर घर से निकलूँ
जब थका हारा घर आऊँ तो भी तेरा आशीष पाऊँ
भूल जाता हूँ इस प्यार के अधिकारी और भी हैं माँ
तेरे चरणों की धूल के मेरी तरह भिखारी और भी है माँ
तेरे पास आ जाऊँ एक नहीं सौ बार मन करता है
अगले पल चंद किलोमीटर के गणित में उलझ जाता है
हर रोज कोई जिम्मेदारी कोई काम नया याद आता है
कभी खुद का तो कभी बच्चों का स्कूल आड़े आता है
अकारण अचानक अब घर से निकलना नहीं होता
आज की तरह हर रोज तुझसे मिलना नहीं होता
इसका अर्थ ये नहीं है माँ कि तेरी याद नहीं आती
आँचल में सोना चाहता हूँ जिंदगी रुकने नहीं देती
यूँ तो तेरे चेहरे पर बहुत सी झुर्रिया नजर आती हैं माँ
पर आज भी तू मुझे दुनिया में सबसे सुंदर लगती है माँ
लोग कहते है कि मैं शब्दों का जादू जानता हूँ माँ
फिर क्यों नहीं तेरी ममता को नाप पाता हूँ माँ