Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2020 · 1 min read

फिर कभी करना!

(वज़्न :- 1222 1222 1222 1222)

अगर मुझसे शिकायत है, शिकायत फिर कभी करना।
नहीं फुर्सत अभी मुझको, जसारत फिर कभी करना।।

अभी दरवेश सा मुझको, भटकने की रही चाहत।
मुझे मंज़िल दिलाने की, इनायत फिर कभी करना।।

न सर अब वो रहीं साहब, तुम्हे सजदा करेंगे जो।
इसे आशिक़ बनाने की, हिमाकत फिर कभी करना।।

तु ऐसे सीख कर छोड़ी, वज़न करना मुहब्बत का।
सितम की लो अभी कीमत, किफायत फिर कभी करना।।

अकल आ ही गई उनको, नफ़ासत अब नहीं उनमे।
खलीफा बन रहें हैं वो, शरारत फिर कभी करना।।

कभी ख़्वाहिश हमारी थी, कि मैं कुछ पूछ लूं तुमसे।
सुनेंगे चंद वो किस्से, बगावत फिर कभी करना।।

वही अच्छा मिरे खातिर, भरम में ही बहकने दो।
अभी यादें सजोया हूँ, सदाक़त फिर कभी करना।।

बनो भी रहम दिल अब तो, कि मीठी आशनाई हो।
दबा लो लफ़्ज़ को लब पर, ज़लालत फिर कभी करना।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०१/०५/२०२०)

2 Likes · 2 Comments · 450 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-415💐
💐प्रेम कौतुक-415💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दुआ नहीं होना
दुआ नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
पहला अहसास
पहला अहसास
Falendra Sahu
जन मन में हो उत्कट चाह
जन मन में हो उत्कट चाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मुर्दा समाज
मुर्दा समाज
Rekha Drolia
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
कवि दीपक बवेजा
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बेवकूफ
बेवकूफ
Tarkeshwari 'sudhi'
23/67.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/67.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हजारों  रंग  दुनिया  में
हजारों रंग दुनिया में
shabina. Naaz
चाय की चुस्की लेते ही कुछ देर तक ऊर्जा शक्ति दे जाती है फिर
चाय की चुस्की लेते ही कुछ देर तक ऊर्जा शक्ति दे जाती है फिर
Shashi kala vyas
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
पूर्वार्थ
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
आकाश से आगे
आकाश से आगे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अनजान लड़का
अनजान लड़का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ Rãthí
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
Manju sagar
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"सियासत में"
Dr. Kishan tandon kranti
“ अपने प्रशंसकों और अनुयायियों को सम्मान दें
“ अपने प्रशंसकों और अनुयायियों को सम्मान दें"
DrLakshman Jha Parimal
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
Shweta Soni
किंकर्तव्यविमूढ़
किंकर्तव्यविमूढ़
Shyam Sundar Subramanian
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
ख़ुद से ख़ुद को
ख़ुद से ख़ुद को
Akash Yadav
"दोस्ती के लम्हे"
Ekta chitrangini
कैसा विकास और किसका विकास !
कैसा विकास और किसका विकास !
ओनिका सेतिया 'अनु '
बेचारी माँ
बेचारी माँ
Shaily
रामभक्त संकटमोचक जय हनुमान जय हनुमान
रामभक्त संकटमोचक जय हनुमान जय हनुमान
gurudeenverma198
फिर हो गया सबेरा,सारी रात खत्म,
फिर हो गया सबेरा,सारी रात खत्म,
Vishal babu (vishu)
Loading...