फिर कब आएगी ………..
मेरी यादों की कच्ची कली,
भरपूर यौवन पर कब आऐगी ।
आकर अपनी चमक- महक से,
इस भंवरे का मन कब बहलाएगी।।
फिर कब आएंगी.
आ कर कर थाम ले मेरा,
या यूं ही मुझे इंतजार कराएगी।
गमगीन हूं गम तेरे में तड़पता, भटकता,
खिजा के फूल ज्यूं तो न बिखराएगी।।
फिर कब तु आएगी………
तुम विहिन ये चातक प्यासा,
घटा का बादल बनकर कब आएगी।
प्यार रूपी अमृत नीर से इस प्यासे की,
आखिर कब प्यास बुझाएगी।।
फिर कब आएगी………….
आबाद कर आकर घर मेरा,
या यूंही मीन -सा तड़पाएगी।
इस भटकते हुए राहगीर को,
आखिर तु ही तो मंजिल दिखाएगी।
फिर कब आएगी………..
नम आँखों से नम हुआ हूं,
कही बाढ़ तो न आ जाएगी।
आकर मुझे दे प्राण दान प्रिय,
वरना यूंही अर्थी चली जाएगी।
फिर कब आएगी
क्या कहूं किससे कहूं कहीं ?
क्या कुछ -कुछ कराएगी।
मन मेरा मुरादी मरणासन्न, मरमाहत,
मुझे मिट्टी में मिलाएगी।।
फिर तु कब आएगी……….
सतपाल चौहान।