फितरत
अपनी फितरत का अंजाम मिलेगा ।
इस बज़्म में जज़ा सरेआम मिलेगा।।
सहर में जाकर शब को लौट आना।
हर आदमी आदतन क़फ़स का गुलाम मिलेगा।।
वो जो करता ज़ुल्म तसव्वुर में भी।
ज़हर की पुड़िया बांटते बाज़ार मिलेगा।।
फ़रेब और धोका फितरत हो जिसकी।
बदलता चेहरे हज़ार मिलेगा।।
दिल से हर शख़्स बेचारा और तन्हा है।
पर गम छुपाता झूठे गुमान की दुकान मिलेगा।।
©®✍️ अरुणा डोगरा शर्मा अरु