फितरत
हमारी फितरत पर जो फ़िदा हो जाए,
ऐसा कोई बना नहीं, न हमने देखा है।
ये ज़ालिम दुनिया है किस चीज़ की लालची,
हमने ये हर पल सीखा है।
मसालों के बिना हर खाना,
बेस्वाद और फीका है।
दुनिया से अलग बनना है,
दुनिया के जैसा नहीं।
और गर दुनिया जैसे बन गए,
तो ऐसा कभी होगा नहीं।
अलग हैं, अलग रहेंगे।
ज़माने वाले कुछ तो कहेंगे।
✍️सृष्टि बंसल