फितरत
न झुका किसी के आगे,
अब तक यहाँ मैं इतना।
ना किसी से प्यार मुझको,
न तुमसे लगाव इतना।।
है मुझमें कमी क्या कोई,
जो मदद किसी की चाहूँ।
जरूरत नहीं किसी की,
ना तू है मेरा सपना।।
ना नफरत मुझे हूरों से,
कायल नहीं हूँ उनका।
फितरत तो अपनी देखो,
क्यूं तेरा रहूं दीवाना ।।
मेरा ताब ही ऐसा है,
आफताब हूँ हर नजर में।
सब करते हैं सलाम मुझको,
क्यूं तुम्हें अदब दूं इतना ।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि