फितरत
इल्जाम दूं किसीको फितरत में ये नही।
हर दांव जीत जाऊं हसरत में ये नहीं।।
जीवन के रास्ते में ठोकर मिली बहुत ,
शिकवा करूं सभी से आदत में ये नहीं।
तोहमतों से उनकी चोटिल है मेरा दिल ,
कैसे किसे बताऊं, राहत में ये नहीं ।
घर की पुरानी छत से पानी टपक रहा ,
बारिश में जा नहाऊं,चाहत में ये नहीं ।
है इतनी सी गुजारिश , मेरी ‘ सरोज’ सुन ,
सुख मेलजोल में है, नफरत में ये नहीं ।
सरोज यादव