फितरत या स्वभाव
फितरत की परिभाषा क्या है,सबसे जरूरी यही तो हमको समझना है।
व्यक्ति के हर एक स्वभाव को हमको,व्यक्ति की फितरत नहीं समझना है।।
आदत हर व्यक्ति की कितनी अलग,अलग प्रकार की हो सकती हैं।
लेकिन व्यक्ति की हर आदत क्या,उसकी अपनी फितरत भी बन सकती है।।
अच्छा,बुरा चालाक,सीधा सक्षम,अक्षम ये सब व्यक्ति की आदत कहलाती हैं।
और इन सब में से कोई एक आदत,बार बार दोहराने से फितरत बन जाती है।।
हर बात पर जो गुस्सा करे तो गुस्सा करना,उस व्यक्ति की फितरत कहलाती है।
उसकी बाकी सभी आदतें उसके,साधारण स्वभाव के अंदर आती है।।
पहली बार दगा खाकर भी जो व्यक्ति,फिर से उस पर भरोसा कर पाता है।
बार बार भरोसा करने पर भी वह,उससे बार बार दगा ही तो पाता है।।
अपनी उस फितरत के कारण ही वह,व्यक्ति किसी को भी दगा दे पाता है।
यही उदाहरण हमें व्यक्ति के स्वभाव,और फितरत में फर्क करना समझाता है।।
जिसे आप अपनी कुशलता से,अनेक बार हार का मजा चखाते हो।
उसकी फितरत के कारण ही बार बार,हरा कर भी फिर उसे अपने सामने पाते हो।।
कहे विजय बिजनौरी फितरत हम,सब को शायद दुःख दर्द दे पाता है।
स्वभाव तो व्यक्ति छोड़ भी दे किंतु,फितरती अपनी फितरत छोड़ नहीं पाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।